संख्या पद्धति की परिभाषा, प्रकार, सूत्र, प्रैक्टिस क्वेश्चन | Number System in Hindi, Questions PDF
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संख्या पद्धति किसे कहते हैं | संख्या पद्धति परिभाषा| Number System in Hindi
गणितीय संख्या पद्धति या प्रणाली संख्याओं का एक समूह है जिसका उपयोग मात्रा या मूल्यों को दर्शाने के लिए किया जाता है। गणित में जितनी भी संख्याए है, उन संख्याओ में बहुत ही एक जैसी है तो कुछ अलग है. इन्ही अलग और एक जैसी तक यह संख्याओं को उनके गुणों और विशेषताओं के आधार पर व्यवस्थित और वर्गीकृत करने का एक तरीका संख्या पद्धति कहलाता है.
गणितीय संख्या प्रणालियों के सबसे आसान उदाहरणों में प्राकृतिक संख्याएँ हैं, जो हम गिनती के लिए उपयोग करते है. जैसे कि 1,2,3,4…. ∞. ये सकारात्मक पूर्णांक (positive integers) हैं.
संख्या पद्धति के प्रकार
गणित में विभिन्न प्रकार की संख्या प्रणालियाँ हैं। उनमें से कुछ संख्या पद्धति के प्रकार ये हैं :
(i) दशमलव संख्या प्रणाली (आधार- 10)
दशमलव प्रणाली, जिसे हिंदू-अरबी संख्या प्रणाली या अरबी संख्या प्रणाली भी कहा जाता है| दशमलव संख्या प्रणाली में, संख्याओं को आधार 10 के साथ दर्शाया जाता है। इसे आधार-10 संख्या प्रणाली भी कहते हैं जिसमें 10 अंक होते हैं, जैसे 0,1,2,3,4,5,6,7,8,9 .
(ii) बाइनरी नंबर सिस्टम (आधार-2)
एक बाइनरी नंबर केवल 0 और 1 से बना होता है। 1101001 एक द्विआधारी संख्या का उदाहरण है | बाइनरी में कोई 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 या 9 नहीं है|
बाइनरी सिस्टम का उपयोग केवल दो नंबरों, 0 और 1 के संदर्भ में एक संख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है। बाइनरी नंबर सिस्टम का उपयोग आमतौर पर जावा, सी ++ जैसी कंप्यूटर भाषाओं द्वारा किया जाता है।
(iii) ऑक्टल नंबर सिस्टम (आधार- 8)
ऑक्टल नंबर सिस्टम एक प्रकार की संख्या प्रणाली है जिसका आधार आठ होता है और 0 से 7 तक अंकों का उपयोग करता है।
(iv) हेक्साडेसिमल नंबर सिस्टम (आधार- 16)
हेक्साडेसिमल एक प्रकार की संख्या प्रणाली है जिसका आधार का मान 16 है। इसमें 0 -9 से संख्याएं और A – F अक्षर दोनों शामिल हैं।
संख्या क्या है?
संख्या एक गणितीय मान होता है जिसका उपयोग किसी भी चीज को गिनने और किसी को मापने के साथ अंकगणित गणना करने के लिए किया जाता है। संख्याओं की विभिन्न श्रेणियां होती हैं जैसे प्राकृतिक संख्याएँ, पूर्ण संख्याएँ, परिमेय और अपरिमेय संख्याएँ, इत्यादि।
संख्या में अंकों के मान (Values of Digits in Number)
किसी भी संख्या में अंकों के निम्न दो मान होते है
1. जातीय मान (Face Value)
किसी संख्या में किसी अंक कर जातीय मान अंक का ही मान होता है चाहे वह अंक संख्या में किसी भी स्थान पर हो |
जैसे – (i) 243में 4 का जातीय मान 4 है |
(ii) 53679 में 7 का जातीय मान 7 है |
2. स्थानीय मान (Place Value)
किसी संख्या में किसी अंक का यह मान, जो उसके स्थान की स्थिति के अनुसार बदलता रहता है, उस अंक का स्थानीय मान कहलाता है।
स्थानीय मान गणित में एक प्रणाली है जो किसी संख्या में उसकी स्थिति के आधार पर अंक का मान निर्धारित करता है. किसी अंक का मान उस अंक के स्थानीय मान में शून्य की संख्या के अनुरूप दस की शक्ति से गुणा करके निर्धारित किया जाता है.
जैसे – 486301 में प्रत्येक अंक का स्थानीय मान निम्नांकित है
4 का स्थानीय मान =4 x 100000 =400000
8 का स्थानीय मान = 8 x 10000 = 80000
6 का स्थानीय मान = 6 x 1000= 6000
3 का स्थानीय मान = 3 x 100 = 300
0 का स्थानीय मान =0 x 10=0
1 का स्थानीय मान =1
संख्या के प्रकार :
प्राकृतिक संख्या (Natural Number)
जिन संख्याओं का उपयोग हम चीजों को गिनने के लिए करते हैं उन्हें प्राकृतिक संख्या (Natural Number) कहते हैं . प्राकृतिक संख्याएँ 1 से शुरू होती हैं | जैसे : 1, 2, 3, 4 ,…………
प्राकृतिक संख्याओं के समुच्चय को N = {1,2,3,…..∞} के रूप में निरूपित किया जाता है. प्राकृतिक संख्याएँ पूर्ण संख्याओं का एक उपसमुच्चय होती हैं, जिसमें पूर्ण संख्याएँ प्राकृतिक संख्याएँ और शून्य होती हैं
पूर्ण संख्याएं (Whole Number)
प्राकृतिक संख्याओं में “0” (शून्य) को मिला देने पर जो संख्याएँ बनती हैं , वे पूर्ण संख्याएँ कहलाती हैं। पूर्ण संख्याओं का समुच्चय W = {0, 1, 2, 3 ……….} है।
पूर्ण संख्याओं में कोई भिन्न या दशमलव नहीं होता है.
पूर्णांक संख्या (Integer Number)
जब हमें कोई भी चीज 0 से नीचे नापनी होती है तो हम ऋणात्मक चिह्न वाली प्राकृतिक संख्याओं का उपयोग करते हैं | जैसे : (i) यदि तापमान 0 से 2 डिग्री नीचे हो तो हम गणितीय भाषा में लिखते हैं |
(i i) यदि हमें समुद्र तल से २००० मीटर नीचे नापना हो तो हम -2000 लिखेंगे|
पूर्णांक संख्याओं का समुच्चय है ,Z = {…….–3, -2, -1, 0, 1, 2, 3……….}
सम संख्या (Even Number)
ऐसी प्राकृतिक संख्याएँ जो 2 से भाग करने पर पूरी तरह से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती हैं। ऐसे संख्याओं के इकाई का अंक 0, 2, 4, 6 और 8 होता है | जैसे :- 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16, 18, 20…….…… आदि सम संख्याएं हैं |
विषम संख्या (Odd Number)
ऐसी प्राकृतिक संख्याएँ जो 2 से भाग करने पर पूरी तरह विभाजित नहीं होती विषम संख्या कहलाती हैं।जैसे:- 1, 3, 5, 7, 9, 11, ………… आदि विषम संख्याएं हैं |
अभाज्य संख्या (Prime Number)
वह संख्या जो केवल एक और स्वयं से बिभाजित हो और किसी भी अन्य संख्या से विभाजित न हो उन्हें अभाज्य संख्या कहते हैं। जैसे:- 2, 3, 5, 7, 11, 13, 17 ……… आदि संख्याएँ केवल एक और स्वयं से बिभाजित होती हैं|
नोट :- ‘1’ न तो भाज्य संख्या है न ही अभाज्य संख्या .
भाज्य संख्या (Composite Number)
ऐसी प्राकृतिक संख्या जो स्वंय और 1 से विभाजित होने के अलावा कम से कम किसी एक और संख्या से विभाजित हो उन्हें भाज्य संख्या कहते हैं।
जैसे:- 4, 6, 8, 9, 10, 12, 14, 16, 18, 20…….
युग्म अभाज्य संख्याएँ (Twin prime numbers)
दो अभाज्य संख्याओं के समूह को यदि उनका अंतर 2 है, युग्म अभाज्य संख्याएँ कहा जाता है । उदाहरण – (3, 5), (11, 13) आदि।
सह-अभाज्य संख्याएँ(Co-prime number)
संख्याओं का वह समुच्चय जिसमें 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखंड नहीं होता है उन्हें सह-अभाज्य संख्याएँ संख्या कहते हैं। । उदाहरण-(5, 6), (19, 21), (13, 17) आदि।
परिमेय संख्या (Rational Number)
ऐसी सभी संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सकता हैं, (जहाँ पर p और q पूर्णांक संख्याएँ हैं और q का मान शून्य न हो ) उन्हें परिमेय संख्या कहते हैं | उदाहरण – 2/5, 9/6, 13/17 आदि।
परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार के केवल 2 विकल्प होते हैं या तो वे सांत(terminating ) दशमलव (जैसे :- आदि ) याअनवसानी आवर्ती (non-terminating recurring) जैसे:-
अनवसानी आवर्ती (non-terminating recurring) दशमलव जैसे:- में जिन संख्याओं की पुनरावृति होती है उन्हें हम इस तरह से लिखते हैं|
अपरिमेय संख्या (Irrational Number)
वे संख्याएँ जो असांत, अनावर्ती होती हैं अपरिमेय संख्याएँ कहलाती हैं। उदाहरण:√2, √3, √7 आदि। सबसे लोकप्रिय अपरिमेय संख्या π = 3.1459265.. और e = 2.7182818…… हैं|
वास्तविक संख्या (Real Numbers)
परिमेय और अपरिमेय संख्याओं के समूह को “वास्तविक संख्याएँ” कहते हैं।
संख्याओं पर विशेष बिंदु :-
(i) संख्या 1 ना तो भाज्य है ना अभाज्य |
(ii) ऐसी संख्या जो अभाज्य हो एवं सम संख्या हो केवल 2 है|
(iii) सभी प्राकृत संख्याएँ पूर्ण पूर्णांक परिमेय एवं वास्तविक होती है|
(iv) सभी पूर्ण संख्याएं पूर्णांक परिमेय एवं वास्तविक होती है|
(v) सभी पूर्णांक परिमेय एवं वास्तविक होते हैं|
(vi) सभी पूर्णांक परिमेय एवं और अपरिमेय संख्याएँ ऋणत्मक तथा धनात्मक दोनों होती हैं|
(vii) भिन्न सख्याएँ परिमेय होती हैं |
(viii) 2 के अतिरिक्त सभी आभाज्य संख्याएँ विषम होती हैं|
(ix) 0 ॠणात्मक एंव धनात्मक नही हैं |
(x) योगात्मक तत्समक (Additive identity): a + 0 = a अतः शून्य को योगात्मक तत्समक कहते हैं|
(xi) योगात्मक प्रतिलोम (Additive inverse) : यदि a + 0 = a . अतः a और ( -a ) एक – दूसरे के योगात्मक प्रतिलोम हैं |
(xii) गुणात्मक तत्समक (Multiplicative Identity):- a x 1 = a अतः 1 को गुणात्मक तत्समक कहते हैं|
(xiii) गुणात्मक प्रतिलोम (Multiplicative Inverse):- यदि a x b = 1 अतः तब a और b एक दूसरे के गुणात्मक प्रतिलोम हैं|
(xiv) दो परिमेय संख्याओं या दो अपरिमेय संख्याओं के बीच अनन्त परिमेय संख्याएँ या अनन्त परिमेय संख्याएँ हो सकती है|
(xv) परिमेय संख्याओं का व्युत्क्रम (reciprocals) : – किसी परिमेय संख्या का व्युत्क्रम वो संख्या है जो उसके अंश और हर को बदल देने पर मिलती है| किसी परिमेय संख्या का उसके व्युत्क्रम से गुणनफल सदैव 1 होता है| जैसे :-
का व्युत्क्रम है और 1
(xvi) समतुल्य भिन्न : एक परिमेय संख्या को अलग-अलग अंशों और हरो का प्रयोग करके लिखा जा सकता है | ऐसी परिमेय संख्याएँ जो परस्पर बराबर हों समतुल्य कही जाती है| जैसे :- सभी समतुल्य है |
एक परिमेय संख्या के अंश और हर को एक ही शून्येतर ( none-zero) पूर्णांक से गुणा करने पर , हमे दी हुई परिमेय संख्या के समतुल्य एक अन्य परिमेय संख्या प्राप्त होती है|
गुणा की तरह, एक ही शून्येतर ( none-zero) पूर्णांक से अंश और हर को भाग देने पर भी दी हुई परिमेय संख्या के समतुल्य एक अन्य परिमेय संख्या प्राप्त होती है| जैसे:- और
संख्या पद्धति के महत्वपूर्ण सूत्र (Number System Formula in Hindi)
(i) n प्राकृत संख्याओं के योग अर्थात = 1+2+3+4+5+6+……….+n =
उदाहरण : प्रथम 20 प्राकृत संख्याओं का योग ज्ञात कीजिए।
1+2+3+4+5+6+……….+20 = 210
(ii) n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग फल अर्थात =
उदाहरण : प्रथम 10 प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग ज्ञात कीजिए।
(iii) n प्राकृत संख्याओं के घनो का योगफल अर्थात =
उदाहरण : प्रथम 10 प्राकृत संख्याओं के घनों का योग ज्ञात कीजिए।
(iv) प्रथम n सम प्राकृतिक संख्याओं का योग = 2+4+6+8+….n पद तक = n(n+1)
उदाहरण : प्रथम 10 सम प्राकृतिक संख्याओं का योग ज्ञात कीजिए।
2+4+6+8+10+12+14+16+18+20 = 10(10+1)= 10 x 11 = 110
(v) प्रथम n विषम प्राकृतिक संख्याओं का योग =
उदाहरण : 1 से 20 तक की सभी विषम संख्याओं का योग ज्ञात कीजिए |
1 से 20 तक की सभी विषम संख्याएँ = 1,3, 5, 7, 9, 11, 13, 15, 17, 19
1 से 20 तक , 10 विषम संख्याएँ हैं | उनका योग
1+3+5+7+9+11+13+15+17+19=
(vi) n प्राकृत सम संख्याओं के वर्गों का योग फल =
उदाहरण : प्रथम 5 सम प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों का योग ज्ञात कीजिए।
प्रथम 5 सम प्राकृतिक संख्याओं के वर्गों का योग =
(vii) n प्राकृत सम संख्याओं के घनों का योगफल =
(viii) n प्राकृत बिषम संख्याओं के वर्गों का योग फल =
(ix) किन्हीं दो परिमेय संख्याओं के बीच की परिमेय संख्याएँ ज्ञात करना :
किन्हीं दो परिमेय संख्याओं a और b के बीच की परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने लिए हम ‘गैप विधि’ का उपयोग करेंगे |
इस विधि में निम्न चरणों का प्रयोग करें:-
(अ) दी गई परिमेय संख्याओं a और b के बीच का अंतर ज्ञात कीजिए | गैप = a-b
(ब) अंतर को n+1 से विभाजित करें।
(स) अब को 1,2,3,4, ……,n से गुणा करें और a में जोड़ दे|
इस प्रकार दी गई परिमेय संख्याओं a और b के बीच की n परिमेय संख्याएँ होंगी: –
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विभाज्यता नियम: (Test of Divisibility)
2 से विभाज्यता
कोई भी संख्या 2 से पूर्णतया विभाजित होगी, जब उसका इकाई का अंक 0, 2, 4 ,6 या 8 हो। जैसे – 122, 240, 146 आदि सभी संख्याएँ 2 से विभाजित हैं।
3 से विभाज्यता
यदि संख्या के अंकों का योग 3 का गुणक है, तो संख्या 3 से विभाज्य है।
उदाहरण: (i) 2997 ; 2+9+9+7=27, जो 3 से विभाज्य है, इसलिए 2997 भी3 से विभाज्य है |
4 से विभाज्यता
यदि किसी संख्या के अंतिम दो अंक 4 से विभाज्य हैं, तो वह संख्या 4 से विभाज्य होगी।
उदाहरण: संख्या 2512 को अंतिम दो अंक यानी 12, 4 से विभाज्य है, इसलिए मूल संख्या 2512 भी 4 से विभाज्य होगी |
5 से विभाज्यता
अंत में 0 या 5 वाली संख्याएँ 5 से विभाज्य होती हैं। उदाहरण: 250, 1555, 335 आदि |
6 से विभाज्यता
जब कोई संख्या 3 और 2 दोनों से विभाज्य होती है, तो वह विशेष संख्या 6 से भी विभाज्य होती है |
7 से विभाज्यता
एक संख्या 7 से विभाज्य होती है जब इकाई के अंक के दोगुने और अन्य अंकों से बनने वाली संख्या के बीच का अंतर या तो शून्य या 7 का गुणक होता है |
उदाहरण : 672 ( 2 का दोगुना 4, 67-4=63, और 63÷7=9), यानी 672 , 7 से विभाज्य है।
8 से विभाज्यता
जब किसी संख्या के अंतिम तीन अंकों से बनी संख्या 8 से विभाज्य हो, तो वह संख्या भी 8 से विभाज्य होती है |
उदाहरण: संख्या 62584 के अंतिम तीन अंक यानी 584 मानें। चूंकि 584 , 8 से विभाज्य है, इसलिए मूल संख्या 62584 भी 8 से विभाज्य है।
9 से विभाज्यता
यदि किसी संख्या के अंकों का योग 9 से विभाज्य है, तो वह संख्या स्वयं 9 से विभाज्य होगी।
उदाहरण: 30555 , 3+0+5+5+5=18 जो 9 से विभाज्य है, इसलिए 30555 भी 9 से विभाज्य है |
10 से विभाज्यता
यदि किसी संख्या में इकाई के स्थान पर 0 हो तो वह संख्या 10 से विभाज्य होती है।
11 से विभाज्यता
यदि किसी संख्या के वैकल्पिक अंकों के योग का अंतर 11 से विभाज्य है तो वह संख्या भी 1 1 से विभाज्य है |
उदाहरण: 217382 विषम संख्या वाले स्थान पर उपस्थित अंको का योग =2+7+8 = 17
सम संख्या वाले स्थान पर उपस्थित अंको का योग = 1+3+2 =6
दोनों सख्या का अंतर = 17 -6 =11
स्पष्ट रूप से, 217382 11 से विभाज्य है |
संख्या पद्धति पर आधारित प्रश्न (Number System Questions in Hindi)
Q.1 प्रथम 10 प्राकृत संख्याओं का योग ज्ञात कीजिए।
Solution: जैसा कि हमें पता है n प्राकृत संख्याओं के योग = होता है. यहा पर n का मान 10 है.
तो प्रथम 10 प्राकृत संख्याओं का योग मतलब 1+2+3+4+5+6+7+8+9+10=
Q.2. प्रथम 7 प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग ज्ञात कीजिए।
Solution: जैसा कि हमें पता है n प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग =
होता है| यहा पर n का मान 7 है , इसलिए प्रथम 7 प्राकृत संख्याओं के वर्गों का योग =
Q.3.पहले 5 प्राकृतिक संख्याओं का गुणनफल ज्ञात करें |
Solution: प्रथम पाँच प्राकृत संख्याएँ 1,2,3,4 और 5 हैं। इसलिए, हम उन्हें आसानी से गुणा कर सकते हैं|
1 x 2 x 3 x 4 x 5 =120
Q.4.1 से 10 तक सभी सम संख्याओं का योग ज्ञात कीजिए |
Solution: जैसा कि हमें पता है, प्रथम n सम प्राकृतिक संख्याओं का योग = 2+4+6+8+….n पद तक = n(n+1)
1 से 10 तक , 5 सम संख्याएँ हैं | इसलिए 1 से 10 तक सभी सम संख्याओं का योग , अर्थात् 2+4+6+8+10 = 5 x 6 = 30
Q.5. 1 से 9 तक की सभी विषम संख्याओं का योग ज्ञात कीजिए |
Solution: जैसा कि हमें पता है, प्रथम n विषम प्राकृतिक संख्याओं का योग =
1 से 9 तक की सभी विषम संख्याएँ = 1,3, 5, 7, 9
1 से 9 तक , 5 विषम संख्याएँ हैं | उनका योग
1+3+5+7+9=
Q.5. प्रथम 5 प्राकृत संख्याओं के घनों का योग ज्ञात कीजिए |
Solution: जैसा कि हमें पता है, n प्राकृत संख्याओं के घनो का योगफल अर्थात
इसलिए प्रथम 5 प्राकृत संख्याओं के घनों का योग =
Q.6. क्या 2187, 3 से विभाज्य है?
Solution : 2187 के अंको का योग = 2+1+8+7= 18 ; जो 3 से विभाज्य है, इसलिए 2187 भी3 से विभाज्य है |
Q.7. क्या 6561, 9 से विभाज्य है?
Solution: यदि किसी संख्या के अंकों का योग 9 से विभाज्य है, तो वह संख्या स्वयं 9 से विभाज्य होगी।
6561 संख्या के अंकों का योग = 6+5+6+1 = 18, जो 9 से विभाज्य है, इसलिए 6561 भी 9 से विभाज्य है |
Q.8. संख्या 4,672 में 6 का स्थानीय मान क्या है?
संख्या 4,672 में 6 का स्थानीय मान = 6 x 100= 600
Q.9. 1,000,000 संख्या में 1 का स्थानीय मान क्या है
संख्या 1,000,000 में 1 का स्थानीय मान = 1 x 1000000= 1000000
Q. 10. संख्या 96,927 में 9 का स्थानीय मान क्या है?
संख्या 96,927 में पहले 9 का स्थानीय मान = 9 x 10000= 90000
संख्या 96,927 में दूसरे 9 का स्थानीय मान = 9 x 100= 900
Q. 11. 3 और 4 की बीच छः परिमेय संख्या ज्ञात कीजिये?
Solution: हमें 3 और 4 के बीच 6 परिमेय संख्या ज्ञात करनी है | यहाँ पर a=3, b=4 और n=6 है|
गैप =a -b = 4-3 =1 . 6 परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने के लिए हम 7, से विभाजित करेंगें। अंतर को 7 से भाग देने पर हमें
.
इस प्रकार 3 और 4 के बीच 6 परिमेय संख्याएँ होंगी :- , , , , और
इसलिए 3 और 4 के बीच 6 परिमेय संख्याएँ हैं |
Q.12. 3.14159 को परिमेय संख्या के रूप में व्यक्त कीजिए|
Solution : 3.14159 को परिमेय संख्या के रूप में व्यक्त करने लिए हम इसे पहले भिन्न के रूप में लिखेंगें | भिन्न के रूप में लिखने के लिए सबसे पहले हम दशमलव को हटायेंगे | दशमलव को हटाने के लिए हम अंश और हर में 100000 से गुणा करेंगें | अंश और हर में 100000 से गुणा करने पर
अतः 3.14159 का परिमेय रूप =
Q 13. 0.75 को उसके सरलतम रूप में भिन्न के रूप में लिखिए।
Solution : 0.75 को उसके सरलतम रूप में भिन्न के रूप में लिखने के लिए सबसे पहले उसे हम भिन्न के रूप में लिखेंगें और ऊसके बाद सरलतम रूप में लिखने के लिए हम उसके अंश और हर को , अंश और हर के महत्तम समापवर्तक से भाग करेंगें|
0.75 का भिन्न रूप =
75 और १०० का महत्तम समापवर्तक =25
अंश और हर को उनके महत्तम समापवर्तक से भाग करने पर =
अतः 0.75 का सरलतम रूप =
Q 14. क्या 1.25 एक परिमेय संख्या है ?
Solution : जैसा कि हमें पता है कि ऐसी सभी संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सकता हैं, (जहाँ पर p और q पूर्णांक संख्याएँ हैं और q का मान शून्य न हो ) , वे संख्याएँ परिमेय संख्याएँ होती हैं| हम 1.25 को लिख सकते है :-
1.25 =
इसलिए 1.25 एक परिमेय संख्या है |
Q 15. परिमेय संख्या 3/5 को परिमेय संख्या को 4/7 से भाग करिए|
Solution : एक परिमेय संख्या को किसी अन्य परिमेय संख्या से भाग देने क लिए , हम उस परिमेय संख्या
को अन्य परिमेय संख्या के व्युत्क्रम से गुणा कर देते हैं|
इसलिए
Q 16. यदि 2x + 3=5/3 एक परिमेय संख्या है तो x का मान ज्ञात करें|
Solution: आपको दिया गया है : 2x + 3=5/3
समीकरण के दोनों ओर 3 घटाने पर 2x + 3 -3=5/3 -3
अब दोनों ओर 2 से भाग करने पर
इसलिए .
Q 17. 2 के वर्गमूल को परिमेय संख्या के रूप में व्यक्त कीजिए।
Solution : 2 का वर्गमूल जिसका मान 1.4142135623730950488016887 ……….. है , को p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता हैं, (जहाँ पर p और q पूर्णांक संख्याएँ हैं और q का मान शून्य न हो ) | इसलिए 2 के वर्गमूल एक अपरिमेय संख्या है |
Q 18. संख्या √3 एक परिमेय संख्या है या एक अपरिमेय संख्या है?
Solution :दी गई संख्या 3 का वर्गमूल 1.73205080756……. के बराबर है , और इसे भिन्न के रूप में व्यक्त नहीं किया जा सकता है। अतः √3 अपरिमेय संख्या है |
Q 19. संख्या 1/3 और 1/2 के बीच एक परिमेय संख्या ज्ञात कीजिए |
Solution : हमें 1/3 और 1/2 के बीच 1परिमेय संख्या ज्ञात करनी है | यहाँ पर a= , b= और n=1 है|
गैप =a -b = – = .
1 परिमेय संख्याएँ ज्ञात करने के लिए हम 2 , से विभाजित करेंगें। अंतर को 2 से भाग देने पर हमें
.
इस प्रकार और के बीच 1 परिमेय संख्या :-
Q 20. क्या संख्याएँ 5/7 और 3/4 समतुल्य हैं?
Solution: ऐसी परिमेय संख्याएँ जो परस्पर बराबर हों , एक दूसरे के समतुल्य कही जाती है| 5/7 और 3/4 बराबर नहीं है| इसलिए 5/7 और 3/4 समतुल्य नहीं हैं |
Q 21. के समतुल्य भिन्न ज्ञात कीजिये|
Solution: ऐसी परिमेय संख्याएँ जो परस्पर बराबर हों , एक दूसरे के समतुल्य कही जाती है | के तुल्य भिन्न ज्ञात करने के लिए, हम अंश और हर दोनों को एक ही पूर्णांक से गुणा करेंगे।
के अंश और हर को क्रमश : 2, 3, 4, 5, … आदि से गुणा करने पर
आदि |
इन भिन्नों में से प्रत्येक 3/7 के समतुल्य भिन्न है |
Q 22. के समतुल्य ऐसा भिन्न लिखिए जिसका हर 42 हो |
Solution: के समतुल्य ऐसा भिन्न लिखने के लिए जिसका हर 42 हो , हम के अंश और हर को 6 से गुणा करेंगें |
के अंश और हर को 6 से गुणा करने पर
Q 23. 8/12 को एक समतुल्य और सरलतम भिन्न केरूप में लिखें |
Solution : 8/12 के समतुल्य भिन्न को सरलतम रूप में ज्ञात करने के लिए, हम अंश और हर दोनों को 8 और 12 के महत्तम समापवर्तक ( HCF) से विभाजित करेंगें| 8 और 12 का महत्तम समापवर्तक =4
8/12 के अंश और हर को 4 से भाग करने पर
8/12 का समतुल्य भिन्न सरलतम रूप में =
Q 24. के समतुल्य ऐसा भिन्न लिखिए जिसका हर 35 हो |
Solution: के समतुल्य ऐसा भिन्न लिखने के लिए जिसका हर 35 हो , हम के अंश और हर को 5 से गुणा करेंगें |
के अंश और हर को 5 से गुणा करने पर
इसलिए . एक ऐसा भिन्न है जिसका हर 35 है और जो के समतुल्य है|
Q 25. प्रथम 25 धनात्मक पूर्णांकों का योग क्या है?
Solution: जैसा कि हमें पता है n प्राकृत संख्याओं के योग = होता है. यहा पर n का मान 25 है.
तो प्रथम 25 धनात्मक पूर्णांकों का योग मतलब 1+2+3+4+5+6+7+8+…………+25=
Q 26. क्या संख्या 512 को 8 से विभाजित किया जा सकता है?
Solution: जब किसी संख्या के अंतिम तीन अंकों से बनी संख्या 8 से विभाज्य हो, तो वह संख्या भी 8 से विभाज्य होती है | इस स्थिति में, 512 के अंतिम तीन अंक 512 हैं, जो 8 से विभाज्य है। इसलिए 512 भी 8 से विभाज्य है।
Q.27 क्या संख्या 121 को 11 से विभाजित किया जा सकता है?
Solution : यदि किसी संख्या के वैकल्पिक अंकों के योग का अंतर 11 से विभाज्य है तो वह संख्या भी 1 1 से विभाज्य है |
उदाहरण: 121 के विषम संख्या वाले स्थान पर उपस्थित अंको का योग =1+1= 2
सम संख्या वाले स्थान पर उपस्थित अंको का योग = 2
दोनों सख्या का अंतर = 2 -2 = 0
स्पष्ट रूप से, 121 , 11 से विभाज्य है |
Q.28. 0.666… एक परिमेय संख्या है या अपरिमेय संख्या ?
Solution : 0.666… एक परिमेय संख्या है | 0.666… को p/q के रूप में लिखा जा सकता हैं, (जहाँ पर p और q पूर्णांक संख्याएँ हैं और q का मान शून्य न हो )
क्योकिं हम यह नहीं जानते कि 0.666…………. क्या है, अतः आइए हम इसे ‘ x’ मान ले |
x= 0.666……….
क्योकिं यहाँ पर एक अंक की पुनरावृति हो रही है , इसलिए दोनों तरफ 10 से गुणा करने पर
10x = 6.666……….. = 6+ 0.666………..
10x= 6 + x (चूकिं x= 0.666………. )
10x- x = 6
9x =6
x
इसलिए x= 0.666……….. =
Q.29 क्या संख्या -3.14 , -4 और -2 के बीच स्थित है?
Solution: यह पता करने के लिए कि कोई संख्या दो अन्य संख्याओं के बीच है, हम उस संख्या की तुलना दी हुयी संख्याओं से करेंगे। यदि संख्या पहली संख्या से अधिक और दूसरी संख्या से कम है, तो यह उन दो संख्याओं के बीच है।
इस स्थिति में, -3.14 , -4 से अधिक और -2 से कम है, इसलिए यह -4 और -2 के बीच है।
Q.30 दशमलव संख्या 0.125 का व्युत्क्रम भिन्न निकाले |
Solution: जैसा कि हम जानते हैं कि किसी परिमेय संख्या का व्युत्क्रम वो संख्या है जो उसके अंश और हर को बदल देने पर मिलती है| किसी दशमलव संख्या का व्युत्क्रम निकालने क लिए हम सबसे पहले उसको भिन्न में बदलेंगे | 0.125 को भिन्न में बदलने पर
इसलिए 0.125 का व्युत्क्रम भिन्न या है |
Q.31 भिन्न 4/7 का व्युत्क्रम ज्ञात कीजिए।
Solution: भिन्न का व्युत्क्रम ज्ञात करने के लिए, बस अंश और हर की अदला-बदली कर दें | इससे जो भिन्न मिलेगा वो दिए हुए भिन्न का व्युत्क्रम होगा | इसलिए का व्युत्क्रम होगा |
Q.32 के दो समतुल्य भिन्न ज्ञात कीजिये|
Solution: ऐसी परिमेय संख्याएँ जो परस्पर बराबर हों , एक दूसरे के समतुल्य कही जाती है | के तुल्य भिन्न ज्ञात करने के लिए, हम अंश और हर दोनों को एक ही पूर्णांक से गुणा करेंगे।
के अंश और हर को क्रमश : 2 और 3 से गुणा करने पर
Q.33 . के दो समतुल्य भिन्न ज्ञात कीजिये|
Solution: ऐसी परिमेय संख्याएँ जो परस्पर बराबर हों , एक दूसरे के समतुल्य कही जाती है | के तुल्य भिन्न ज्ञात करने के लिए, हम अंश और हर दोनों को एक ही पूर्णांक से गुणा करेंगे।
के अंश और हर को क्रमश : 2, 3और 4 से गुणा करने पर
Q.34. 39487.1 के स्थानीय मान का चार्ट बनाइये |
Solution:
दस हजार | हजार | सैकड़ा | दहाई | इकाई | दसवाँ | |
संख्या | 3 | 9 | 4 | 8 | 7 | 1 |
जातीय मान | 3 | 9 | 4 | 8 | 7 | 1 |
स्थानीय मान | 30000 | 9000 | 400 | 80 | 7 | 1/10 |
Q.35 : 39487.1 के स्थानीय मान का चार्ट बनाइये |
Solution:
दस हजार | हजार | सैकड़ा | दहाई | इकाई | दसवाँ | सौवां | |
संख्या | 3 | 9 | 4 | 8 | 7 | 1 | 2 |
जातीय मान | 3 | 9 | 4 | 8 | 7 | 1 | 2 |
स्थानीय मान | 30000 | 9000 | 400 | 80 | 7 | 1/10 | 2/100 |
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